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6 Dec 2022 · 1 min read

समर्पण

समर्पण
********
माया का सागर हृदय, लेता रहा हिलोर ।
पीठ किये बैठा रहा, सदा सत्य की ओर ।।
नहीं‌ समर्पण कर सका, प्रभु चरणों में‌ नेह ।
भूल गया हरि नाम को , याद रही बस देह ।।
*
राधे…राधे…!
🌹
महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
***
🌾🌾🌾

Language: Hindi
89 Views
Books from Mahesh Jain 'Jyoti'
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