Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 May 2024 · 1 min read

समय

नहीं समझता कभी किसी का रुदन या परिहास ।
समय नचाता कहीं किसी को, कहीं किसी का दास।

हरिश्चन्द्र एक सत्यनिष्ठ, दुनिया का बड़ा सहारा।
पत्नी-बेटे-स्वयं बिक गए, समय ने ऐसा मारा।
महाबली रावण का दसों दिशाओं में हल्ला ।
कहाँ गई सोने की लंका बचा न कोई छल्ला ।

राम राम जय राम सियावर रामचन्द्र है, हाय ।
सोने का नकली हिरण भी कैसा शोर मचाय।
कहाँ गया वह रामराज्य ? लक्ष्मण के जैसा भाई।
बिखरे पन्नों में करता हूँ संबंधों की करता हूँ तुरपाई।

अब तो जाति-धर्म वोट का कारण बन उभरा है।
जनता के दिल में मुट्ठी भर दाने बन उभरा है।
भीख माँगते दीख पड़ते हैं ज्ञानी-गुणी-सुजान ।
आगे की पंक्ति में बैठे गुणहीनों की खान ।

हाथ-आँत के झगड़े में पैसा हो जाता खास ।
समय नचाना कहीं किसी को कहीं किसी का दास!

19 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
खुदा सा लगता है।
खुदा सा लगता है।
Taj Mohammad
मुक्तक
मुक्तक
Neelofar Khan
बड़ी दूर तक याद आते हैं,
बड़ी दूर तक याद आते हैं,
शेखर सिंह
भगवान भले ही मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, और चर्च में न मिलें
भगवान भले ही मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, और चर्च में न मिलें
Sonam Puneet Dubey
अमूक दोस्त ।
अमूक दोस्त ।
SATPAL CHAUHAN
कंधे पे अपने मेरा सर रहने दीजिए
कंधे पे अपने मेरा सर रहने दीजिए
rkchaudhary2012
I know that you are tired of being in this phase of life.I k
I know that you are tired of being in this phase of life.I k
पूर्वार्थ
उससे मिलने को कहा देकर के वास्ता
उससे मिलने को कहा देकर के वास्ता
कवि दीपक बवेजा
*पीड़ा*
*पीड़ा*
Dr. Priya Gupta
*मुर्गा (बाल कविता)*
*मुर्गा (बाल कविता)*
Ravi Prakash
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelam Sharma
ग़ज़ल सगीर
ग़ज़ल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
जहां आपका सही और सटीक मूल्यांकन न हो वहां  पर आपको उपस्थित ह
जहां आपका सही और सटीक मूल्यांकन न हो वहां पर आपको उपस्थित ह
Rj Anand Prajapati
बन्दिगी
बन्दिगी
Monika Verma
ब्यूटी विद ब्रेन
ब्यूटी विद ब्रेन
Shekhar Chandra Mitra
कब तक
कब तक
आर एस आघात
सारी उमर तराशा,पाला,पोसा जिसको..
सारी उमर तराशा,पाला,पोसा जिसको..
Shweta Soni
हिंदी दिवस पर विशेष
हिंदी दिवस पर विशेष
Akash Yadav
मेरी ज़िंदगी की हर खुली क़िताब पर वो रंग भर देता है,
मेरी ज़िंदगी की हर खुली क़िताब पर वो रंग भर देता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
नन्हें बच्चे को जब देखा
नन्हें बच्चे को जब देखा
Sushmita Singh
वो बचपन था
वो बचपन था
Satish Srijan
#लघु कविता
#लघु कविता
*प्रणय प्रभात*
संघर्ष....... जीवन
संघर्ष....... जीवन
Neeraj Agarwal
जब टूटा था सपना
जब टूटा था सपना
Paras Nath Jha
आज के माहौल में
आज के माहौल में
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
भाग्य
भाग्य
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
कहाँ मिलेगी जिंदगी  ,
कहाँ मिलेगी जिंदगी ,
sushil sarna
"मन क्यों मौन?"
Dr. Kishan tandon kranti
रिश्तों को तू तोल मत,
रिश्तों को तू तोल मत,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
आँखों की कुछ तो नमी से डरते हैं
आँखों की कुछ तो नमी से डरते हैं
अंसार एटवी
Loading...