समय जब विकट हो
समय जब विकट हो
और मृत्यु निकट हो
धैर्य तुम बने रहो
तान वक्ष खड़े रहो
विदेह तुम डटे रहो
देह कष्ट को हरो
ना क्रन्द हो विषाद हो
ना कोई अवसाद हो
बस धरा के वक्ष पर
आह्लाद का प्रसाद हो
मोह न हो जिंदगी का
ना स्वार्थ का संवाद हो।
नेक पथ के पथिक हो
ना तनिक विवाद हो।
– मोहित