समय के साथ दुनिया के प्रति नजरिया
एक तो समय का पहलू ये है.
समय हमारी व्यवाहरिक खोज है.
जन्म से मृत्यु तक.
समय हमारे शरीर के अनुरूप बदलता है.
जैसे :- नवजात शिशु, टोडर, बच्चा, युवा, जवानी, अधेड़ावस्था, वृद्ध, भौतिक शरीर का निष्क्रिय होना. जिसे मृत्यु कहते है.
समय गति दूरी की खोज
एक व्यवहार और कुछ नहीं.
हंसा तो मोती चुगे
.ः
दूसरे पहलू से आप बिलकुल परिचित हैं
भोजन, वस्त्र और सकारात्मक सोच.
जिसके आधार पर चार पुरुषार्थ बनाये गये,
धन से काम,
और
धर्म से मोक्ष,
एक वाहियात बात सिद्ध हो जाती है.
कारण
एक व्यर्थ की आपाधापी का आरंभ