समय की धार !
समय और समय की धार,
बहती है तीव्र,कई हैं इसमें मझधार ,
दुनिया चल रही है, भीड़ है अपार,
ईर्ष्या द्वेष, घमंड हो रही तकरार ,
मानव सभ्यता हो रही तार- तार,
गरीब है बेकरार,
गरीब पर पड़ रही है समय की मार ,
सोच रहा है, कैसे कमाऊं रोटी चार,
कैसे पालूं परिवार,
अमीरों के गले में हीरों के हार,
महंगी से महंगी कार,
धन दौलत अपार,
कन्धो पर नहीं है कोई भार,
सुनती भी इन्ही की है सरकार,
गरीब मजदूर हो रहा बेजार,
दिल है छलनी हो रहा तार-तार,
हे!परमात्मा कब आयेगी गरीबों की बहार?
कब मिलेगा भर पेट आहार,
कब होंगे बच्चे शिक्षित, कब हटेगा सिर से भार?
एक ही मंत्र सुनो हे परवरदिगार ,
सोच समझ कर चुनो नेता,बनाओ ईमानदार सरकार,
तभी होगा गरीबों का उद्धार ,
चमन में आयेगी बहार,
भारत बनेगा विश्व का तारणहार !