Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Nov 2017 · 2 min read

समय का फेर

आज सालों बाद पैतृक गाँव आना हो पाया,विदेश में जन्मे बढे बच्चों को अपनी जमीन से जो मिलाना था।लंबरदार की हवेली पर नजर पडते ही पल भर में अपना सारा बचपन चित्रपट की मानिन्द आँखों के सामने से गुजर गया,गाँव भर के छोटे छोटे बच्चे तख्ती -भोल्खा ले कर पाठशाला जाया करते ,वन ,टू, थ्री से अभी तक साक्षात्कार भी नहीं हुआ था,एक,दो, तीन ,चार ही समझ आते थे ,अगर कोई कह दे टू ,थ्री,फोर तो भाईसाहब खुद पर ग्लानी होने लगती थी,
हैं ! ये कौन सी भाषा?
कभी कभी संध्या समय वो बच्चों को अपनी चिकने कागज वाली चमचमाती ,रंगीन तस्वीरों से भरी पुस्तकें दिखा ललचाता…
जब बच्चे पास आते तो लम्बरदार उन्हैं हकाल देता..पीछे हटो…
छूना नहीं,गंदी हो जायेगी…
भागो….
तुम्हारे बाप ने भी देखी कभी …

बेचारे भोले भाले बच्चे ,घिस कर चमकाई गई तख्ती झुलाते और खडिया के घोल से भरा भोल्खा साथ पोरी की कलम ले पाठशाला के लिए निकलते जब लम्बरदार के आलीशान घर के सामने से गुजरते तो खुद को बहुत बौना महसूस करते।
इस लिए नहीं कि लम्बरदार का घर आलीशान था बल्कि इस लिए कि उसका पोता अन्ग्रेजी स्कूल की यूनीफार्म पहन कर जरूर कहता यस,व्हाट,हेअर,देअर,ही,शी ,अब समझ तो कुछ आता नहीं था पर सबका बालमन इंफिरियोरिटि काम्पलेक्स से ग्रस्त,यार इसे तो जाने किस किस ग्रह की भाषा आती है ,पक्का एक दिन चाँद पर जायेगा।और हम शायद धरती पर रेंगने वाले कीडे बन जायेगे …
हुर्र…..ट…ट…ट
बर्र…..बर्र……
आवाज पर कान खडे हो गए

वही लम्बरदार का पोता डन्डी फटकारते भैस चराने निकलते दिखाई दिया….
अपर्णाथपलियाल”रानू”
३०.१०.१७

Language: Hindi
459 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मैं रूठ जाता हूँ खुद से, उससे, सबसे
मैं रूठ जाता हूँ खुद से, उससे, सबसे
सिद्धार्थ गोरखपुरी
हवा चल रही
हवा चल रही
surenderpal vaidya
मैं हू बेटा तेरा तूही माँ है मेरी
मैं हू बेटा तेरा तूही माँ है मेरी
Basant Bhagawan Roy
यूं तो गम भुलाने को हैं दुनिया में बहुत सी चीजें,
यूं तो गम भुलाने को हैं दुनिया में बहुत सी चीजें,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
" जमाना "
Dr. Kishan tandon kranti
" दिल गया है हाथ से "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
* बाल विवाह मुक्त भारत *
* बाल विवाह मुक्त भारत *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
वो मेरी कविता
वो मेरी कविता
Dr.Priya Soni Khare
आसान बात नहीं हैं,‘विद्यार्थी’ हो जाना
आसान बात नहीं हैं,‘विद्यार्थी’ हो जाना
Keshav kishor Kumar
राम बनना कठिन है
राम बनना कठिन है
Satish Srijan
3728.💐 *पूर्णिका* 💐
3728.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
बुगुन लियोसिचला Bugun leosichla
बुगुन लियोसिचला Bugun leosichla
Mohan Pandey
SHER
SHER
*प्रणय*
सलीका शब्दों में नहीं
सलीका शब्दों में नहीं
उमेश बैरवा
आइये - ज़रा कल की बात करें
आइये - ज़रा कल की बात करें
Atul "Krishn"
गणेश वंदना
गणेश वंदना
Sushil Pandey
मेरे मौन का मान कीजिए महोदय,
मेरे मौन का मान कीजिए महोदय,
शेखर सिंह
तुम्हारे लिए
तुम्हारे लिए
हिमांशु Kulshrestha
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
दुनिया के मशहूर उद्यमी
दुनिया के मशहूर उद्यमी
Chitra Bisht
ज़िन्दगी का भी मोल होता है ,
ज़िन्दगी का भी मोल होता है ,
Dr fauzia Naseem shad
मौसम का क्या मिजाज है मत पूछिए जनाब।
मौसम का क्या मिजाज है मत पूछिए जनाब।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
अटल सत्य संसार का,
अटल सत्य संसार का,
sushil sarna
गुफ़्तगू आज चारों तरफ हो रही,
गुफ़्तगू आज चारों तरफ हो रही,
पंकज परिंदा
सच तों आज कहां है।
सच तों आज कहां है।
Neeraj Agarwal
मेरे हौसलों को देखेंगे तो गैरत ही करेंगे लोग
मेरे हौसलों को देखेंगे तो गैरत ही करेंगे लोग
कवि दीपक बवेजा
काली स्याही के अनेक रंग....!!!!!
काली स्याही के अनेक रंग....!!!!!
Jyoti Khari
दोहा समीक्षा- राजीव नामदेव राना लिधौरी
दोहा समीक्षा- राजीव नामदेव राना लिधौरी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
*न्याय : आठ दोहे*
*न्याय : आठ दोहे*
Ravi Prakash
तुझसे परेशान हैं आज तुझको बसाने वाले
तुझसे परेशान हैं आज तुझको बसाने वाले
VINOD CHAUHAN
Loading...