Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Apr 2020 · 4 min read

समता का इस देश में, बना रहे परिवेश।।

✍ प्रियंका सौरभ

समता और समानता, था जिनका अभियान।
जननायक थे देश के, बाबा भीम महान।।
धन्य-धन्य अम्बेडकर, धन्य आपके काज।
दलितों वर्ग से आपने, जोड़ा सर्वसमाज।।
दिया हमें कानून का, खिला हुआ बागान।
भीमराव अम्बेदकर, थे भारत की शान।।
समावेश करके सभी, देशों का मजमून।
हितकारी सबके लिए, लिखा सही कानून।।

बाबा साहेब डॉ भीम राव आंबेडकर अपने समय के उच्च शिक्षित भारतीयों में से एक थे। वो एक मेधावी विद्यार्थी थे, उह्नोने अर्थशास्त्र में कोलम्बिआ यूनिवर्सिटी और लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स दोनों जगह से स्नातक की उपाधि हासिल की। उन्होंने लॉ रिसर्च, इकोनॉमिक्स तथा राजैनितक विज्ञान के क्षेत्र में अभूतपूर्व ख्याति हासिल की। अपने शुरुवाती सार्वजिनिक जीवन में वो एक वकील, अर्थशास्त्री एवं प्रोफेसर रहे।

इतनी ख्याति अर्जित करना उनके लिए आसान नहीं था क्योंकि वो क्योंकि वो माहर(दलित) जाति में पैदा हुए थे, जो उस समय दलित अस्पृश्य माने जाते थे। ऐसे लोगों के साथ उस समय सामाजिक एवं आर्थिक भेदभाव आम बात थी। अछूत होने के कारण उनको प्राथमिक तथा हाई स्कूल में दाखिला लेने में बड़ी दिक्क्त हुई; ऐसा माना जाता था कि दलितों के बच्चों को ऊँची जाति के लोगों के साथ बैठकर शिक्षा प्राप्त करने का कोई अधिकार नहीं है। ऐसा होने के बावजूद इनके पिता ने हार नहीं मानी और उन्होंने अंततः भीम को दाखिला दिलवा दिया। स्कूल में भीम अन्य बच्चों के साथ खाना नहीं खा सकता था; उनके साथ बैठ नहीं सकता था; खेल नहीं सकता था; कक्षा के बोर्ड पर लिख नहीं सकता था । भीम के साथ अछूतों वाला व्यवहार स्कूल में भी जारी था।
आंबेडकर के साथ ऐसा व्यवहार स्कूल में ही नहीं, हर उस जगह जारी रहा जहां -जहां से उन्होंने अपने जीवन में शिक्षा प्राप्त की। पर वो रुके नहीं । अपनी प्रतिभा के बल पर एक से बढ़कर एक उपलब्धि हासिल करते गए। डॉ आंबेडकर धीरे-धीरे नई ऊंचाइयां छूने लगे। उनको एक कुशल अर्थशात्री, राजनीतिज्ञ, गरीबों का मसीहा और दलितों के अधिकारों के संरक्षक के तौर पर जाना जाने लगा। (स्वतंत्रता संग्राम में आंबेडकर का नाम बहुत कम सुर्ख़ियों में आया, क्योंकि वो दलितों के हित की लड़ाई लड़ रहे थे।)
भारत को आजादी मिलने के बाद उनको केंद्र सरकार में कानून एवं सामाजिक न्याय मंत्री बनाया गया। उनको भारत का संविधान बनाने के लिए गठित कमेटी का चेयरमैन बनाया गया। इस प्रकार 2 साल 11 महीने और 18 दिन की कड़ी मेहनत के बाद उनके प्रयासों से भारत का संविधान अस्तित्व में आया। डॉ आंबेडकर महिला अधिकारों और मजदूर वर्ग के उत्थान की बातें करते थे। उन्होंने दलितों के लिए अलग से चुनाव की बजाय बराबरी के अधिकारों की मांग की।

उनका उस समय भारत में केंद्रीय बैंक बनाने में अहम योगदान रहा जो आज रिज़र्व बैंक के नाम से जाना जाता है। डॉ आंबेडकर ने उस समय भारतीय संविधान की धारा 370 का विरोध का किया था। उन्होंने इस प्रावधान को भारतीयों के बराबरी के अधिकारों पर सीधा प्रहार बताया था। धारा 370 को उन्होंने भारत की अखंडता के लिए खतरा बताया था और ऐसी आग बताया जो पूरे भारत को जलाकर राख कर देगी। आगे चलकर हमने इसके दुष्प्रभाव देखे भी; वो कमाल के दूरदर्शी थे।

14 अप्रेल को भारत में राष्ट्रीय अवकाश मनाया जाता है ताकि हम भारत के उस सपूत को याद कर सके जो विपरीत परिस्थितियों में पढ़ -लिखकर आगे बढ़ा और दलितों का मसीहा बना।
1990 में डॉ भीम आंबेडकर को भारत रत्न से सम्मानित किया गया; कहा जाता है दलित होने के कारण उनको ये सम्मान बड़ा देरी से मरणोपरांत दिया गया। जो उनके व्यक्तित्व के साथ भेदभाव था।
डॉ भीम ने हमेशा दलितों की शिक्षा प्राप्ति पर जोर दिया। उन्होंने दलितों को इकट्ठा होकर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया ताकि समाज में उनको बराबरी का अधिकार मिल सके। उन्होंने बताया कि दलितों के लिए शिक्षा ही एकमात्र रास्ता है जो उनको सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक क्षेत्र में समानता दिलवा सकती है।
उह्नोने 26 किताबें लिखी और 30 हज़ार से ज्यादा लेख लिखे। आख़िरकार दलितों के मसीहा 6 दिसंबर 1956 को जीवन भर बराबरी की लड़ाई लड़ते हुए वहां चले गए जहां मृत्यु सबको बराबरी का दर्जा देती है। डॉ मबेडकर ने हमेशा समाज में बराबरी के दर्जे की वकालत की, पूजा पाठ का विरोध किया। वो एक अखंड भारत का सपना देखते थे।
मगर कुछ लोग जो अपने आप को आंबेडकर वादी कहते हैं उन्होंने इनकी छवि को तोड़-मरोड़ दिया है। जाति-गत दुर्भावना को बढ़ावा देना और इनका पूजन पाठ करना; वो तो खुद पाखंड के विरोधी थे। हमें ऐसी बातों से बचना चाहिए जो उनके व्यक्तित्व की विरोधी है। आंबेडकर ने दलितों की लड़ाई लड़ी तो उनके दिमाग में समानता थी न की दूसरी जातियाँ से घृणा। उनकी मूल भावना से छेड़-छड़ उनको जाति विशेष का नेता बना सकती है मगर वो पूरे भारत में समानता की लड़ाई के पक्षधर नेता थे। कहना पड़ रहा है-

छुआ बुलंदी को भले, तुमने मनुज जरूर।
लेकिन तुमसे हो गये,…सभी तुम्हारे दूर।।
एक वर्ग करने लगा, बाबा का उपभोग।
राजनीति करने लगे, बाबा जी पर लोग।।
था जिनके मन में बसा, सारा हिन्दुस्तान।
उस भारत के भीम के, धूमिल हैं अरमान।।
बाबा जी का जन्मदिन, देता है सन्देश।
समता का इस देश में, बना रहे परिवेश।।

✍ प्रियंका सौरभ
ईमेल:priyanksaurabh9416@gmail.com
सम्पर्क: परी वाटिका, कौशल्या भवन , बड़वा (सिवानी) भिवानी, हरियाणा – 127045
मोबाइल :9466526148,01255281381

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Comment · 264 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
इश्क की पहली शर्त
इश्क की पहली शर्त
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
दीपावली
दीपावली
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
वो भ्रम है वास्तविकता नहीं है
वो भ्रम है वास्तविकता नहीं है
Keshav kishor Kumar
एक छोटा सा दर्द भी व्यक्ति के जीवन को रद्द कर सकता है एक साध
एक छोटा सा दर्द भी व्यक्ति के जीवन को रद्द कर सकता है एक साध
Rj Anand Prajapati
*भरोसा हो तो*
*भरोसा हो तो*
नेताम आर सी
हे नाथ आपकी परम कृपा से, उत्तम योनि पाई है।
हे नाथ आपकी परम कृपा से, उत्तम योनि पाई है।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
* खुशियां मनाएं *
* खुशियां मनाएं *
surenderpal vaidya
तुम्हें बुरी लगती हैं मेरी बातें, मेरा हर सवाल,
तुम्हें बुरी लगती हैं मेरी बातें, मेरा हर सवाल,
पूर्वार्थ
*जुदाई न मिले किसी को*
*जुदाई न मिले किसी को*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
मफ़उलु फ़ाइलातुन मफ़उलु फ़ाइलातुन 221 2122 221 2122
मफ़उलु फ़ाइलातुन मफ़उलु फ़ाइलातुन 221 2122 221 2122
Neelam Sharma
मित्रता दिवस पर एक खत दोस्तो के नाम
मित्रता दिवस पर एक खत दोस्तो के नाम
Ram Krishan Rastogi
नेता अफ़सर बाबुओं,
नेता अफ़सर बाबुओं,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
गीत लिखूं...संगीत लिखूँ।
गीत लिखूं...संगीत लिखूँ।
Priya princess panwar
"गिरना जरूरी है"
Dr. Kishan tandon kranti
21-हिंदी दोहा दिवस , विषय-  उँगली   / अँगुली
21-हिंदी दोहा दिवस , विषय- उँगली / अँगुली
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
DR arun कुमार shastri
DR arun कुमार shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
#शुभ_प्रतिपदा
#शुभ_प्रतिपदा
*Author प्रणय प्रभात*
दलितों, वंचितों की मुक्ति का आह्वान करती हैं अजय यतीश की कविताएँ/ आनंद प्रवीण
दलितों, वंचितों की मुक्ति का आह्वान करती हैं अजय यतीश की कविताएँ/ आनंद प्रवीण
आनंद प्रवीण
3164.*पूर्णिका*
3164.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दोहावली
दोहावली
Prakash Chandra
बरसात
बरसात
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
शार्टकट
शार्टकट
Dr. Pradeep Kumar Sharma
चलो , फिर करते हैं, नामुमकिन को मुमकिन ,
चलो , फिर करते हैं, नामुमकिन को मुमकिन ,
Atul Mishra
LIFE has many different chapters. One bad chapter does not m
LIFE has many different chapters. One bad chapter does not m
आकांक्षा राय
पिता
पिता
Harendra Kumar
बचपन और पचपन
बचपन और पचपन
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
"दोस्ती के लम्हे"
Ekta chitrangini
प्रदर्शन
प्रदर्शन
Sanjay ' शून्य'
सागर से अथाह और बेपनाह
सागर से अथाह और बेपनाह
VINOD CHAUHAN
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ : दैनिक रिपोर्ट*
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ : दैनिक रिपोर्ट*
Ravi Prakash
Loading...