समझ ना पाया अरमान पिता के कद्र न की जज़्बातों की
समझ ना पाया अरमान पिता के कद्र न की जज़्बातों की
वो बेटा क्या जाने उसकी नींद कहाँ गई रातों की
बेटे को कोई फिक्र नहीं है पिता कहाँ रहता है
देता है पर पिता दुआएं खुद क्या-क्या सहता है
समझ ना पाया अरमान पिता के कद्र न की जज़्बातों की
वो बेटा क्या जाने उसकी नींद कहाँ गई रातों की
बेटे को कोई फिक्र नहीं है पिता कहाँ रहता है
देता है पर पिता दुआएं खुद क्या-क्या सहता है