‘ समझौता ‘
जया कपूरिया बड़े घर की सीधी सी लड़की बहुत अच्छे संस्कारों के साथ पली – बढ़ी और विवाह भी बड़े अरोड़ा परिवार में हुआ लेकिन ससुराल पिता से कमतर था । विवाह के बाद सास और पति की छोटी – छोटी बातों पर बेहद छोटी सोच से उसका मन आहत होने लगा ससुराल में उसको सामंजस्य बैठाने में मुश्किल हो रही थी….वो अभी भी अपने नाम के साथ कपूर ही लिख रही थी और ससुराल वालों की छोटी सोच के चलते पिता का ही उपनाम लिखने का मन बना लिया था । एक दिन एक हादसे में पिता के मौत की खबर ने जया को अंदर तक तोड़ दिया और उसने उसी वक्त समझौता कर लिया अपने नाम के साथ अरोड़ा लगाने का शायद नियति को यही मंजूर था ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 06/12/2020 )