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31 Mar 2022 · 1 min read

समंदर

हजारों मील तक फैला हुआ बेबस समंदर है,
बुझा दे प्यास मेरी वो ताकत नदी के अंदर है।
समेटे अनगिनत यादें प्यार की धारा में बहकर,
भुला के ये कि न जाने कहाँ उसका मुकद्दर है?

🌻🌻🌻🌻🌻
रचना- मौलिक एवं स्वरचित
निकेश कुमार ठाकुर
गृह जिला- सुपौल (बिहार)
संप्रति- कटिहार (बिहार)
सं०- 9534148597

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 192 Views
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