सभी फैसले अपने नहीं होते,
दोहा
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
प्रेम सच्चा अगर नहीं होता ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
षड्यंत्रों की कमी नहीं है
24/250. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
बसंत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
बापक भाषा
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
उलझनें तेरे मैरे रिस्ते की हैं,
Jayvind Singh Ngariya Ji Datia MP 475661
जिंदगी फूल है और कुछ भी नहीं
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
आज यानी 06 दिसंबर अर्थात 05 शताब्दीयो से भी ज्यादा लम्बे काल
“ मैथिल क जादुई तावीज़ “ (संस्मरण )
चार कंधों पर मैं जब, वे जान जा रहा था
सदियों से कही-सुनी जा रही बातों को यथावत परोसने और पसंद करने
समय संवाद को लिखकर कभी बदला नहीं करता