“सभी यहां गलतफहमी में जी रहे हैं ll
“सभी यहां गलतफहमी में जी रहे हैं ll
ख्वाबों की गहमागहमी में जी रहे हैं ll
हम सभी आकाश में उड़ रहे हैं,
बस कहने को जमी में जी रहे हैं ll
ख्वाहिशों कि अधिकता में मर रहे हैं,
सुकून की कमी में जी रहे हैं ll
खून की गरमी में जी रहे हैं,
अश्कों की नमी में जी रहे हैं ll
रिश्ते नातों का कत्ल कर,
बड़ी बेशरमी से जी रहे हैं ll”