सभी मां बाप को सादर समर्पित 🌹🙏
सभी मां बाप को सादर समर्पित 🌹🙏
गज़ल
2122…2122….2122…212
इस जहां में कोई वो, व्योहार कर सकता नहीं।
मां पिता के जैसा कोई, प्यार कर सकता नहीं।
खुद रहे गीले में सूखे में, सुलाया आपको,
ऐसे कोई प्यार का इजहार, कर सकता नहीं।
आपके सुख में सुखी, औ’र आपके दुख में दुखी,
इस तरह का कोई भी, इकरार कर सकता नहीं।
जो कमाई जिंदगी में, धन औ शोहरत आपकी,
गैर कोई भी तुम्हें, हकदार कर सकता नहीं।
अपने आंचल में छुपाकर, प्यार बच्चों को दिया,
उनके जैसा ‘प्रेमी’ भी, मनुहार, कर सकता नहीं।
……..✍️ सत्य कुमार प्रेमी