सभी पत्नियों को समर्पित एक रचना कुण्डलिया
जीवन भर कर हम बचत ,करते संचित कोष
सुनकर उसको गुप्त धन होता हमको रोष
होता हमको रोष ,हमें बस इतना कहना
समझो इसका मोल ,प्यार का है ये गहना
कहे अर्चना स्वर्ग ,बनाती है पत्नी घर
अपना मन भी मार, बचत करती जीवन भर
डॉ अर्चना गुप्ता