“ सभा गाछी “
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल
=====================
सौराठ सभा मे झगड़ा बाझल ! एक दिश सौराठ आ दोसर दिश पिलखवाड़ ! विजय झा सौराठक दवंग छलाह ! ओ अपना सँगे किछु उत्पाती युवक केँ सहो नेने आयल छलाह ! अपन कॉलर ऊपर केने पिलखवाड़क कम्बल लग आबि ललकारय लगलाह –
“ के माय क लाल अछि जे इ बर केँ सौराठ सभा सँ ल जायत ? एहि बरक विवाह एहि गाम सौराठ मे हैत !”
पिलखवाड़ ग्रामक विभिन्य बेसारी सँ लोग सब एकत्रित होमय लगलाह !
“ की भेलय ,की भेलय यो “ सब पुछ’ लगलाह !
पिलखवाड़ क पहलवान राम चंद्र ठाकुर सहो आयल छलाह ! हुनको संगे हुनकर चेला चपाटी रहैनि ! रणभूमि सभा गाछी बनल जा रहल छल ! राम चंद्र बाबू सहो कूदि पड़लाह !
संबंध क लत्ती मिथिला मे एहन पसरल अछि जे सब गाँव सब गाँव सँ जुड़ल अछि ! मामला शांत भेल ! सूर्यास्त क बाद सब अपन अपन गाम विदा भेलाह ! काल्हि पुनः सभा लागत !
आइ सौराठ सभा क प्रथम दिन छल ! आर महाभारतक शंखनाद ओहो तेहन बर ला जे दुमका मे रहैत छथि ! लक्ष्मणक जन्म दुमका मे भेल रहनि ! शिक्षा -दीक्षा ओहिठाम भेल छलनि ! अपने मैथिली बाजय मे परिपक्व नहि छलाह ! ग्राम गनौली आ मातृक पिलखवाड़ होइतो सब हिनका “दछीनाहा “ कहैत छलनि ! लक्ष्मण क इच्छा रहनि वियाह मैथिल कन्या सँ करि ! पिलखवाड़ मातृक छलनि ,छोट बहिन क सासुर आ जेष्ठ भ्राता क सासुर सहो पिलखवाड़े छलनि !
ओ त संयोगवश सभा गाछी मे सौराठ क श्री उदित नारायण झा सँ बरक पिता पंडित दशरथ झा सँ भेंट भ गेलनि ! वो दूनू स्वतंत्रता संग्राम क्षण क मित्र रहैथि ! सभा गाछी सँ सटले उदित बाबूक पूवारि टोल मे घर छलनि ! हुनक आग्रह पर बर लक्ष्मण ,भ्राता आ हुनक पिता ओहिठाम गेलाह ! उदित बाबू अपन दौहित्री क लेल प्रस्ताव रखलनि ! बाद मे लक्ष्मण केँ पता लगलनि इ कन्या त मुंगेर क छथि !
लक्ष्मण त सोचने रहैथ वियाह करब त मिथिला मे ! ओ अपन संकोच तोड़ि अपन पिताजी केँ कहलनि –
“ बाबू जी ! हम मुंगेर मे वियाह नहि करब ! सभा गाछी एलहूँ त वियाह मैथिल कन्या सँ हेबाक चाहि ! “
लक्ष्मण क तर्क सुनि हुनक पिता आनंदित भेलाह आ कहलनि —-
“ चलू ,आब पिलखवाड़ चलू ओहि ठाम गप्प हैत !”
ओना कथा पहिने शिविपट्टी सँ आयल छल ! हरि झा ओहिठामक प्रतिष्ठित लोक रहैथ ! हुनके कन्या पर समस्त लक्ष्मण क मातृक लोक आ ओझा सब लागल छलाह ! इ सभा गाछी क महाभारत देखि दलान पर निर्णय भेल कि आब ओ सब कियो नहि पुनः सभा गाछी फटकताह ! सब गोटे सोचलनि वियाह करब की महाभारत ?
रतिए उग्रमोहन बाबू साइकिल लेलनि आ बिदा भेलाह शिविपट्टी ! ओहि घर मे हुनकर छोट बहिन क वियाह भेल छलनि ! तें लक्ष्मण क वियाह क गप्प चलि रहल छल ! ओ त सभा गाछी मे उदित बाबू क प्रस्ताव पर कनि गरमा – गर्मी भ गेल छल ! एकर जड़ि मे बात इ छल जे शिविपट्टी क हरि बाबू आ सौराठक उदित बाबू दूनू समधि रहैथ !
प्रातः उग्रमोहन बाबू कन्यागत ल केँ आबि गेलाह ! सिद्धांत पंजीकार सँ लिखायल गेल ! आ दोसर दिन वियाह भ गेल !
=====================
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका ,
झारखंड