Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Aug 2024 · 1 min read

सब लोगो के लिए दिन में 24 घण्टे ही होते है

सब लोगो के लिए दिन में 24 घण्टे ही होते है
अगर आप कुछ करना चाहते है तो
पहले इसको सही उपयोग करना शुरू करो

38 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
नास्तिक
नास्तिक
ओंकार मिश्र
शेर
शेर
SHAMA PARVEEN
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
बची रहे संवेदना...
बची रहे संवेदना...
डॉ.सीमा अग्रवाल
Aaj kal ke log bhi wafayen kya khoob karte h
Aaj kal ke log bhi wafayen kya khoob karte h
HEBA
नज़ाकत या उल्फत
नज़ाकत या उल्फत
DR ARUN KUMAR SHASTRI
संस्मरण:भगवान स्वरूप सक्सेना
संस्मरण:भगवान स्वरूप सक्सेना "मुसाफिर"
Ravi Prakash
Bad in good
Bad in good
Bidyadhar Mantry
" गाड़ी चल पड़ी उसी रफ्तार से "
DrLakshman Jha Parimal
अभी  बाक़ी  है  मेरी  जान , तेरी  जान  की  साथी ,
अभी बाक़ी है मेरी जान , तेरी जान की साथी ,
Neelofar Khan
"किताब के पन्नों में"
Dr. Kishan tandon kranti
अगर प्रेम में दर्द है तो
अगर प्रेम में दर्द है तो
Sonam Puneet Dubey
!! युवा !!
!! युवा !!
Akash Yadav
गैरों की भीड़ में, अपनों को तलाशते थे, ख्वाबों के आसमां में,
गैरों की भीड़ में, अपनों को तलाशते थे, ख्वाबों के आसमां में,
पूर्वार्थ
शहर की गर्मी में वो छांव याद आता है, मस्ती में बीता जहाँ बचप
शहर की गर्मी में वो छांव याद आता है, मस्ती में बीता जहाँ बचप
Shubham Pandey (S P)
सौगंध से अंजाम तक - दीपक नीलपदम्
सौगंध से अंजाम तक - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
" लोग "
Chunnu Lal Gupta
आपका ही ख़्याल
आपका ही ख़्याल
Dr fauzia Naseem shad
■ बेशर्म सियासत दिल्ली की।।
■ बेशर्म सियासत दिल्ली की।।
*प्रणय प्रभात*
हिंदी क्या है
हिंदी क्या है
Ravi Shukla
It All Starts With A SMILE
It All Starts With A SMILE
Natasha Stephen
राम तुम्हारे नहीं हैं
राम तुम्हारे नहीं हैं
Harinarayan Tanha
ये नफरत बुरी है ,न पालो इसे,
ये नफरत बुरी है ,न पालो इसे,
Ranjeet kumar patre
4128.💐 *पूर्णिका* 💐
4128.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
"ऐसा है अपना रिश्ता "
Yogendra Chaturwedi
मुक्तक
मुक्तक
sushil sarna
कुछ किताबें और
कुछ किताबें और
Shweta Soni
पर्वतों और मैदानों में अहम होता है
पर्वतों और मैदानों में अहम होता है
Neeraj Agarwal
ये जो मीठी सी यादें हैं...
ये जो मीठी सी यादें हैं...
Ajit Kumar "Karn"
Loading...