Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Aug 2024 · 1 min read

!!!! सब तरफ हरियाली!!!

शहर से चले गांव की ओर,
देखने खेत और खलिहान।
सब तरफ फैली है हरियाली,
देख मन में खिली मुस्कान।।

यह देखो है तालाब हमारा,
अभी भरा हुआ है आधा ।
बारिश की आस लगा रखी,
आधे से होगी फसलों में बाधा।।

जंगल में चलते चलते राह,
पहुंच गए पहाड़ी के पास।
असीम शांति मन को भाए,
दिन बन गया बहुत ख़ास।।

काम के बीच चुराकर कुछ लम्हे,
चले आते है हम अपने गांव।
आम नीम पीपल और बरगद की,
लेने हम सुकून भरी छांव।।

मिट्टी की सोंधी सोंधी महक,
खींच यहां मुझको लाती हैं।
ठंडी हवा जब तन को छूती,
मुझको फिर बहुत लुभाती हैं।।
—— जेपीएल

Language: Hindi
1 Like · 66 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from जगदीश लववंशी
View all
You may also like:
■ कृष्ण_पक्ष
■ कृष्ण_पक्ष
*प्रणय*
दिलों का हाल तु खूब समझता है
दिलों का हाल तु खूब समझता है
नूरफातिमा खातून नूरी
विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
Neeraj Mishra " नीर "
क्या रावण अभी भी जिन्दा है
क्या रावण अभी भी जिन्दा है
Paras Nath Jha
बहुत समय हो गया, मैं कल आया,
बहुत समय हो गया, मैं कल आया,
पूर्वार्थ
दरिया की तह में ठिकाना चाहती है - संदीप ठाकुर
दरिया की तह में ठिकाना चाहती है - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
हो हमारी या तुम्हारी चल रही है जिंदगी।
हो हमारी या तुम्हारी चल रही है जिंदगी।
सत्य कुमार प्रेमी
देखा नहीं है कभी तेरे हुस्न का हसीं ख़्वाब,
देखा नहीं है कभी तेरे हुस्न का हसीं ख़्वाब,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
💪         नाम है भगत सिंह
💪 नाम है भगत सिंह
Sunny kumar kabira
अब क्या करे?
अब क्या करे?
Madhuyanka Raj
जो दूर हो जाए उसे अज़ीज़ नहीं कहते...
जो दूर हो जाए उसे अज़ीज़ नहीं कहते...
pratibha Dwivedi urf muskan Sagar Madhya Pradesh
चुनाव 2024
चुनाव 2024
Bodhisatva kastooriya
बाहर के शोर में
बाहर के शोर में
Chitra Bisht
ख़ाइफ़ है क्यों फ़स्ले बहारांँ, मैं भी सोचूँ तू भी सोच
ख़ाइफ़ है क्यों फ़स्ले बहारांँ, मैं भी सोचूँ तू भी सोच
Sarfaraz Ahmed Aasee
नववर्ष का नव उल्लास
नववर्ष का नव उल्लास
Lovi Mishra
आज पुराने ख़त का, संदूक में द़ीद़ार होता है,
आज पुराने ख़त का, संदूक में द़ीद़ार होता है,
SPK Sachin Lodhi
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
उधार  ...
उधार ...
sushil sarna
बात जुबां से अब कौन निकाले
बात जुबां से अब कौन निकाले
Sandeep Pande
*आता मौसम ठंड का, ज्यों गर्मी के बाद (कुंडलिया)*
*आता मौसम ठंड का, ज्यों गर्मी के बाद (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
“बिरहनी की तड़प”
“बिरहनी की तड़प”
DrLakshman Jha Parimal
कट्टर पंथ वो कोढ़ है जो अपने ही
कट्टर पंथ वो कोढ़ है जो अपने ही
Sonam Puneet Dubey
मतिभ्रष्ट
मतिभ्रष्ट
Shyam Sundar Subramanian
रात……!
रात……!
Sangeeta Beniwal
That's success
That's success
Otteri Selvakumar
3921.💐 *पूर्णिका* 💐
3921.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
प्रेम परिवर्तन के ओर ले जाता है, क्रोध प्रतिशोध के ओर, दोनों
प्रेम परिवर्तन के ओर ले जाता है, क्रोध प्रतिशोध के ओर, दोनों
Ravikesh Jha
"वक्त के पाँव में"
Dr. Kishan tandon kranti
*** मुफ़लिसी ***
*** मुफ़लिसी ***
Chunnu Lal Gupta
आज के रिश्ते में पहले वाली बात नहीं रही!
आज के रिश्ते में पहले वाली बात नहीं रही!
Ajit Kumar "Karn"
Loading...