सब झूठा है जग में खोना पाना ( भक्ति-गीत )
सब झूठा है जग में खोना पाना ( भक्ति-गीत )
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हमें पता है सब झूठा है जग में खोना-पाना
(1)
हम पाते हैं ,किन्तु नहीं पाने से हम इतराते
यह स्थिति है एक सिर्फ हम मन को यह समझाते
हमें पता है इस पाने पर कैसी खुशी मनाना
हमें पता है सब झूठा है जग में खोना – पाना
(2)
हम होते कब दुखी वस्तुएँ अगर नहीं कुछ पाईं
दुख का कारण नहीं वस्तुएँ कब-कब कहाँ गँवाईं
नहीं मिला या मिलकर खोया ,क्या इसमें घबराना
हमें पता है सब झूठा है जग में खोना-पाना
(3)
समय बीतता जाता है केवल हमसे यह कहता
वस्तु नहीं आती-जाती है ,समय सिर्फ है बहता
सुख-दुख से है परे समय का देखो आना-जाना
हमें पता है सब झूठा है ,जग में खोना-पाना
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451