सब कुछ हमारा हमी को पता है
सब कुछ हमारा हमीं को पता है
जैसे सूरज की गर्मी जमीं को पता है
लाखों कमियां गिनाया है ज़माने ने अबतक,
मुझमें कितनी कमीं है, कमीं को पता है
-सिद्धार्थ गोरखपुरी
सब कुछ हमारा हमीं को पता है
जैसे सूरज की गर्मी जमीं को पता है
लाखों कमियां गिनाया है ज़माने ने अबतक,
मुझमें कितनी कमीं है, कमीं को पता है
-सिद्धार्थ गोरखपुरी