“सब्र का बांध”
मेरी उम्मीद पर तू कभी खरा क्यों नहीं उतरता ।
??मुझे तकलीफ़ देने से क्या कभी तेरा मन नहीं भरता।
तेरी सारी बातों का असर मेरे चहरे पे दिखाने लगा है।
??अब तो सब्र का बांध मुझसे भी टूटने लगा है।
मेरी उम्मीद पर तू कभी खरा क्यों नहीं उतरता ।
??मुझे तकलीफ़ देने से क्या कभी तेरा मन नहीं भरता।
तेरी सारी बातों का असर मेरे चहरे पे दिखाने लगा है।
??अब तो सब्र का बांध मुझसे भी टूटने लगा है।