* सब्र कर *
सब्र कर ये तेरे इम्तिहान की घड़ी है
रात अब इंतेजार की दो चार घड़ी है
तारीक-ए-रात रोशनाई सी है छायी
सुबह आनेवाली रौशनी की घड़ी है।।
?,,मधुप बैरागी
सब्र कर ये तेरे इम्तिहान की घड़ी है
रात अब इंतेजार की दो चार घड़ी है
तारीक-ए-रात रोशनाई सी है छायी
सुबह आनेवाली रौशनी की घड़ी है।।
?,,मधुप बैरागी