सब्जी के दाम
सब्जी के दाम
यह देश गया मंहगाई में सरकार गई घूसखोरी में
सब्जी के दाम बढे इतने वह दिखती नहीं कटोरी में।
पहले तो अपनी मस्ती थी, ये सभी सब्जियां सस्ती थी
सब झोला भरकर लाते थे , जैसे भी जिनकी हस्ती थी
पहले की बात निराली थी, सब्जी से सजती थाली थी
इन हरी सब्जियों के कारन , जीवन में भी हरियाली थी
अब तो थाली में आती है पहले आती थी बोरी में — सब्जी के दाम बढे ————-
कांदा की बात करू मै क्या कांदा हम सबका प्यारा था
हर जगह काम में आता था खाने में बड़ा सहारा था
होटल हो घर या बाहर हो शहरों में हो या मेले में
खाने को यह मिल जाता था पानीपुडी के ठेले में
उस कांदे को हम ढूढ़ रहे , वह मिलता नहीं पकौड़ी में —–सब्जी के दाम बढ़े —–
इन लाल टमाटर को देखो सेवो की तुलना करते है
जो रहते सदा सलादों में ठेले पे पड़े अकडते है
धनियां ने इनका साथ दिया लहसुन ने आग लगाईं है
मूली को देखो इसने भी आकरके धूम मचाई है
अबतो ये मिलती नहीं मुझे चाटो के चाट चटोरी में —–सब्जी के दाम बढ़े ———–
पालक मेथी बैगन ने भी कुछ हरी मटर ने काम किया
आ गया बताता नया नया उसने सब काम तमाम किया
मिर्चा की चर्चा कम कर दो , थोड़ा सा खर्चा काम कर दो
अब दाल भट रोटी खावो सब्जी की चर्चा काम कर दो
सब्जी को हमने सुला दिया कविता की सुन्दर लोरी में —–सब्जी के दाम बढ़े ——