सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति
सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति
सभागार श्रोताओं से खचाखच भरा था। आकर्षक व्यक्तित्व का धनी युवक ने बतौर मुख्यवक्ता संबोधित किया।
उसके भाषण की हर तरफ मुक्त कंठ से प्रशंसा हुई। बार-बार तालियों की गड़गड़ाहट हुई। प्रत्येक श्रोता युवक का दीवाना सा हो गया।
श्रोताओं के बीच बैठे सेवानिवृत्त शिक्षक प्रताप सिंह सोच रहे थे। यही बातें तो वो अपने अध्यापन में ताउम्र बताते रहे। इस युवक ने अलग से कुछ नहीं बताया। वे अपने-आप को उपेक्षित महसूस कर रहे थे। उनके मन में तरह-तरह के विचार कौंध रहे थे।
कार्यक्रम का समापन हुआ। सभी अपने-अपने गंतव्य की ओर जाने को तैयार हुए। शिक्षक प्रताप सिंह अपने स्थान पर जस के तस बैठे रहे, भीड़ छंटने का इंतजार कर रहे थे।
तभी वह युवक आया और शिक्षक प्रताप सिंह के चरण स्पर्श करके बोला, “गुरु जी नमस्कार। मैं आपका शिष्य अमरपाल। आपकी बताई बातें ही सबसे सांझी कर रहा हूँ।
शिक्षक प्रताप सिंह ने चश्में के लैंश साफ करके पहचानने का प्रयास किया। मास्टर जी का रोम-रोम पुलकित हो गया। अपने शिष्य अमरपाल को छाती से लगा लिया। अब मास्टर जी अपने आपको सबसे महत्वपूर्ण व्यक्तित्व महसूस कर रहे थे।
-विनोद सिल्ला