सबसे बढ़कर जगत में मानवता है धर्म।
सबसे बढ़कर जगत में मानवता है धर्म।
धार्मिक मानव कर नहीं सकता कभी कुकर्म।।
विनयशीलता उर धरें पाकर कोई ज्ञान।
कितने ही मर्मज्ञ हों पर न करें अभिमान।।
******** महेश चन्द्र त्रिपाठी
सबसे बढ़कर जगत में मानवता है धर्म।
धार्मिक मानव कर नहीं सकता कभी कुकर्म।।
विनयशीलता उर धरें पाकर कोई ज्ञान।
कितने ही मर्मज्ञ हों पर न करें अभिमान।।
******** महेश चन्द्र त्रिपाठी