” सबको करीब से जाने “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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बात कोई अजीब सी नहीं है
और ना कोई नयी नहीं,
पर बातें गंभीर है !
डिजिटल मित्रता के चोलों को
हमें उतार फेंकना है !
हम एक दूसरे को जाने पहचाने
यथा संभव पारदर्शिता के
मंत्रों का प्रयोगिक मंत्रोचार करें !
अधिकांशतः हम एक
दूसरे को पत्र लिखें !
जब अपनी मर्यादाओं को भूलकर
अशिष्ट पोस्टों को
किन्हीं अन्य लोगों के
टाइम लाइनों
पर टैग कर सकते हैं
तो हम पत्र क्यों नहीं लिख सकते ?
पत्र पढ़ने के बाद
आप भी कुछ लिखें
और फिर मन चाहा तो
डिलीट भी कर सकते हैं !
सब श्रेणी के लोग हमसे जुडते हैं !
सम्मान ,स्नेह और प्यार
से उनको जीतना है !
अपनी -अपनी धुन पर नाचेंगे
तो हम आज साथ हैं
कल आप हमें
छोड़ चले जाएंगे !@लक्ष्मण