*सफल कौवा 【बाल कविता】*
सफल कौवा 【बाल कविता】
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कोयल ने कवि-सम्मेलन में
कविता एक सुनाई
कविता से ज्यादा सुंदर
वाणी कोयल की भाई
फिर नंबर आया कौवे का
कर्कश स्वर भर लाया
श्रोताओं ने उसे
हूट कर-करके खूब भगाया
चिड़िया ने तब ढाढस
कौवे को आ तनिक बँधाया
बोली “गाओ अपने स्वर में
प्रभु से जो भी पाया
गले सभी के कहाँ एक-से
जग में सोचो होते ?
हीन-भावना रखो न मन में
धैर्यवान कब रोते ?”
उत्साहित होकर कौवे ने
कविता पुनः सुनाई
जीता कौवे का कर्कश-स्वर
घोर सफलता पाई ।
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451