सफलता
इस भागती ज़िन्दगी मे किसी के पास वक्त नही है कि समझ सके जिस दिशा मे वह जा रहा है क्या यह वह दिशा है? जो उसके गन्त्वय तक पहुँचायेगी। वह अपने विवेक से निर्णय न लेकर भीड़ की मनोवृत्ति का शिकार होकर उसकी धारा मे बहा जा रहा है।
आत्म विश्लेषण न कर सकने की स्थिती मे वह समस्याओं से घिर जाता है । जिनसे उबरना उसके लिये दुष्कर हो जाता है । यदि इस विषय मे गंभीरता से विचार जाये इसके लिये जिम्मेवार व्यक्ति विशेष मे निहित संस्कार है । जिससे उसमे स्वनिर्णय लेने की क्षमता का विकास नही हो पाता । जिससे परावलम्बन् की परिस्तिथियाँ निर्माण हो जाती हैं । अन्तर्निहित संस्कारों के अभाव मे विषम परिस्तिथियों का सामना करने के लिये पर्याप्त आत्मविश्वास का अभाव रहता है। जिसके फलस्वरूप वह विपरीत परिस्थितियों मे अपने आप को असहाय महसूस करता है। जिसकी पराकाष्ठा मे वह तनावग्रस्त होकर डिप्रेशन की मनोदशा तक मे चला जाता है।
अक्सर यह देखा गया है कि हम किसी सफल व्यक्ति विशेष को हमारा प्रणेता अर्थात् रोल मॉडल बना लेते है । और उसके नक्श़ेक़दम पर चलकर उसकी तरह सफल बनना चाहते है। इस बात से अन्जान कि उस व्यक्ति विशेष की सफलता के पीछे किसका हाथ है।
और उसने किस तरह संघर्षरत रहकर अपना मुक़ाम हासिल किया है। दरअसल काफी हद तक इसके लिये प्रचार माध्यम, मीडीया और प्रेस , सोशल मीडिया , इंटरनेट,फेसबुक,व्हाट्स एप, इन्स्टाग्राम,यू ट्यूब इत्यादी है। जो समाज के कुछ चुनिंदा व्यक्तियों का महिमा मंडन करते रहते हैं । जिसके छद्म मे उनके निहित स्वार्थों की पूर्ति उनका परम लक्ष्य होता है ।
जिसका गूढ़ता से विश्लेषण किये बिना जनसाधारण उसे पूर्णतः सच मानकर उनके प्रति आदर्श धारणा बना लेते हैं ।और वे उनके प्रतिपादित आदर्शों का पालन कर उनकी तरह सफल बनना चाहते हैं।
अतः जनसाधारण मे यह जागृति उत्पन्न की जाये कि आत्मचिंतन , आत्मविश्लेषण , एवं परिस्थितियों के आकलन का महत्व जीवन मे सफलता प्राप्ति मे अति आवश्यक है । आत्मविश्वास से परिपूर्ण मनस एवं कठिन परिश्रम करके , धैर्य और साहस से विपरीत परिस्तिथियों का सामना करते हुए ही जीवन मे सफलता सुनिश्चित की जा सकती है। किसी अन्य के पदचिन्हों पर चलकर उनके प्रतिपादित आदर्शों के सम्बल पर सफलता की कामना करना किसी मृगमरीचिका से कम सिद्ध न होगा ।