सफर -ए -कोरोना
प्रथम स्थिति कोरोना की
जब भारत में आया था,
धीरे धीरे लगा लॉकडाउन
सबका मन हरसाया था !
वर्षों से थका शरीर
आराम बहुत ही पाया था,
आज कचौड़ी ,कल समोसा
सबने मन भर खाया था!
टीवी प्रसारण रामायण आई
फिर महाभारत आया था ,
दिन गुजरता घर में पूरा
मानो सतयुग आया था !
ना कोई आया ,ना गया कहीं पे
पैसा खूब बचाया था,
मगर शादियां निकली जैसे
सब पर संकट मंडराया था !
अपने-अपने रहे शादी में
कोरोना का भय सताया था ,
शांत माहौल में जश्न मनाया
सबका मन हर्ष आया था !
दशा हो गई उन लोगों की
जिन ने खाने को कुछ ना पाया था ,
आगे आए कई संगठन
भोजन खूब खिलाया था !
तबाह हो गए कितने ही घर
कोरोना ने ऐसा कहर बरपाया था ,
जन्म लेती नन्ही जिंदगियां
जिन्होंने मां बाप को ना पाया था !
लाचार दिखी कई जिंदगी
ऐसा संकट छाया था ,
छीनी प्रकृति ने ऑक्सीजन,
सिलेंडर भी मिल ना पाया था !
धूल चटा दी धनाढ्यों को भी
जिन्ने पैसा बरसाया था ,
नहीं बचा पाए अपनों का जीवन
कोरोना ने ऐसा कहर ढाया था !
अफसर की तो बात ना पूछो
अपने को ,बेघर पाया था ,
दिन रात लगे रहे ड्यूटी में
डॉक्टर में ही भगवान पाया था !
घर में रहो सुरक्षित
पुलिस ने पहरा खूब लगाया था ,
गर भूलकर निकले बाहर
दंड बैठक भी लगवाया था !
धीरे-धीरे बड़ी समझ तो
सबने कर्तव्य निभाया था ,
मास्क लगाकर निकले बाहर
तब खुद को सुरक्षित पाया था !
वैज्ञानिकों को मिली सफलता
वैक्सीनेशन आया था
खत्म किया कोरोना का सफर
टीका सबने लगवाया था !!