सपनों में आ जाना तुम (गीत)
मर्यादा के बंधन में रह ,
गीत प्रीत के गाना तुम |
जब भी तेरा जी चाहे ,
सपनो में आ जाना तुम ||
उमड़-घुमड़ मीठी बातों की
जब याद पुरानी आती हो ,
नीरवता में दूर कही से
परछाईं कोई बुलाती हो ,
तो तनहाई में खुशबू बन
जीवन को महकाना तुम |
जब ……………………सपनों में आ जाना तुम ||
रातों में भी जाग-जागकर
ये नैन मेरा जब सूखा हो,
दौड़-दौड़ थकता मन फिर भी
तेरे दर्शन का भूखा हो ,
सरिता बन स्नेहिल नयनों संग
मुझको गले लगाना तुम |
जब ……………………सपनों में आ जाना तुम ||
परती धरती भी तपती हो
अरु मेघ को जपती हो बाला,
सविता की किरणें थकती हो
हिय से उगल-उगलकर ज्वाला ,
घन-बनकर तब आस पुराने
नभ में भी छा जाना तुम |
जब ……………………सपनों में आ जाना तुम ||
प्यासे-प्यासे अधर विचारे
जग में निराले दीखते हो ,
अवसादों की गठरी लेकर
इक नई कहानी लिखतें हो ,
तब “तनहा”मेरी कविता बन
नीर सुधा बरसाना तुम |
जब ……………………सपनों में आ जाना तुम ||
(रचना :–संतोष कुमार श्रीवास्तव “तनहा”)