Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Jan 2023 · 1 min read

सपनों में आ जाना तुम (गीत)

मर्यादा के बंधन में रह ,
गीत प्रीत के गाना तुम |
जब भी तेरा जी चाहे ,
सपनो में आ जाना तुम ||

उमड़-घुमड़ मीठी बातों की
जब याद पुरानी आती हो ,
नीरवता में दूर कही से
परछाईं कोई बुलाती हो ,
तो तनहाई में खुशबू बन
जीवन को महकाना तुम |
जब ……………………सपनों में आ जाना तुम ||

रातों में भी जाग-जागकर
ये नैन मेरा जब सूखा हो,
दौड़-दौड़ थकता मन फिर भी
तेरे दर्शन का भूखा हो ,
सरिता बन स्नेहिल नयनों संग
मुझको गले लगाना तुम |
जब ……………………सपनों में आ जाना तुम ||

परती धरती भी तपती हो
अरु मेघ को जपती हो बाला,
सविता की किरणें थकती हो
हिय से उगल-उगलकर ज्वाला ,
घन-बनकर तब आस पुराने
नभ में भी छा जाना तुम |
जब ……………………सपनों में आ जाना तुम ||

प्यासे-प्यासे अधर विचारे
जग में निराले दीखते हो ,
अवसादों की गठरी लेकर
इक नई कहानी लिखतें हो ,
तब “तनहा”मेरी कविता बन
नीर सुधा बरसाना तुम |
जब ……………………सपनों में आ जाना तुम ||

(रचना :–संतोष कुमार श्रीवास्तव “तनहा”)

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 487 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
शालिग्राम तुलसी कहलाई हूँ
शालिग्राम तुलसी कहलाई हूँ
Pratibha Pandey
केशव तेरी दरश निहारी ,मन मयूरा बन नाचे
केशव तेरी दरश निहारी ,मन मयूरा बन नाचे
पं अंजू पांडेय अश्रु
कामवासना
कामवासना
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
Love Night
Love Night
Bidyadhar Mantry
जैसी बदनामी तूने मेरी की
जैसी बदनामी तूने मेरी की
gurudeenverma198
ईश्वर का प्रेम उपहार , वह है परिवार
ईश्वर का प्रेम उपहार , वह है परिवार
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
2912.*पूर्णिका*
2912.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
एक राखी बाँधना स्वयं की कलाई में
एक राखी बाँधना स्वयं की कलाई में
Saraswati Bajpai
माँ
माँ
Raju Gajbhiye
रागी के दोहे
रागी के दोहे
राधेश्याम "रागी"
कमियाँ तो मुझमें बहुत है,
कमियाँ तो मुझमें बहुत है,
पूर्वार्थ
घर की गृहलक्ष्मी जो गृहणी होती है,
घर की गृहलक्ष्मी जो गृहणी होती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
अनुराग
अनुराग
Bodhisatva kastooriya
" जख्म "
Dr. Kishan tandon kranti
नींद कि नजर
नींद कि नजर
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
...
...
*प्रणय*
Acrostic Poem
Acrostic Poem
jayanth kaweeshwar
बहती नदी का करिश्मा देखो,
बहती नदी का करिश्मा देखो,
Buddha Prakash
* वर्षा ऋतु *
* वर्षा ऋतु *
surenderpal vaidya
शैव्या की सुनो पुकार🙏
शैव्या की सुनो पुकार🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
भाग्य मे जो नहीं होता है उसके लिए आप कितना भी कोशिश कर लो वो
भाग्य मे जो नहीं होता है उसके लिए आप कितना भी कोशिश कर लो वो
रुपेश कुमार
*भारत माता को नमन, अभिनंदन शत बार (कुंडलिया)*
*भारत माता को नमन, अभिनंदन शत बार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
वो रूठ कर हमसे यूं चल दिए आज....!!!
वो रूठ कर हमसे यूं चल दिए आज....!!!
AVINASH (Avi...) MEHRA
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
राम का न्याय
राम का न्याय
Shashi Mahajan
अधमी अंधकार ....
अधमी अंधकार ....
sushil sarna
ज़िंदगी मेरी दर्द की सुनामी बनकर उभरी है
ज़िंदगी मेरी दर्द की सुनामी बनकर उभरी है
Bhupendra Rawat
दिल में एहसास भर नहीं पाये ।
दिल में एहसास भर नहीं पाये ।
Dr fauzia Naseem shad
रिश्तो को कायम रखना चाहते हो
रिश्तो को कायम रखना चाहते हो
Harminder Kaur
अव्यक्त प्रेम (कविता)
अव्यक्त प्रेम (कविता)
Monika Yadav (Rachina)
Loading...