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14 Nov 2022 · 1 min read

सपनों की दुनिया

तुम्हारे झूठ में भी
सच्चाई ढूंढ लेता हूं
आजकल सपनों में ही
अपने ढूंढ लेता हूं

क्या हुआ जो तू
नहीं मिलता अब मुझे
तेरे इंतज़ार में ही
सुकून ढूँढ लेता हूँ

वैसे तो है लोग बहुत
आस पास मेरे भी आजकल
लेकिन जैसे भी हो हालात
अब मैं किसी को बताता नहीं हूँ

मेरे ज़ख्मों में कोई
नमक न छिड़क पाए अब
इसलिए इनको मैं
किसी को दिखाता नहीं हूँ

दिल करता है मेरा भी
भरोसा करूँ मैं भी किसी पर
इसलिए उसके झूठ को
मैं सच मान लेता हूँ कभी कभी

चाहता हूँ कोई तोड़े न
मेरे इस नाज़ुक दिल को बार बार
इसलिए मैं उसे छोड़कर
सपनों में चला जाता हूँ कभी कभी

आकर देखो तुम भी
कभी इस मेरे सपनों की दुनिया में
है नहीं अपना कोई मगर
अपना होने का ढोंग भी
कोई करता नहीं सपनों की दुनिया में।

Language: Hindi
11 Likes · 4 Comments · 1208 Views
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