सपने
अनसुलझी कहानी को हल कैसे मिलता।
मेरे बेचैन जेहन को बल कैसे मिलता।
आंखों ने देखे हैं सपने हजारों,
ऐसे सपनों को कल कैसे मिलता।
-सिद्धार्थ पाण्डेय
अनसुलझी कहानी को हल कैसे मिलता।
मेरे बेचैन जेहन को बल कैसे मिलता।
आंखों ने देखे हैं सपने हजारों,
ऐसे सपनों को कल कैसे मिलता।
-सिद्धार्थ पाण्डेय