सपने सजाना है __ घनाक्षरी
नजरे मिलाई है तो नजदीक आइए जी।
फिर कैसी दूरियां हैं सपने सजाना है।।
अपने बने हो तुम अपने ही बन जाओ।
भाव अपनेपन का सब में जगाना है।।
प्रीत की रीत ने यही सिखलाया हमको तो।
सबको ही हमको तो संग में लगाना है।।
शत्रुता को मित्रता में बदलेंगे हम दोनो।
एकता ही फले फूले अंकुर उगाना है।।
राजेश व्यास अनुनय