सपना
धुंधले प्रकाश की सुस्त आवाज में,
एक सपना जागता है, जैसे मानो अंधेरे में वो जन्म लेता है।
पंख पसारे रात में वो गतिशील होता है,
एक गुप्त आशा की किरण लिए पंख फड़फड़ाता है।
जैसे नदी का प्रवाह, यह भी अपना रास्ता बनाता है,
संदेह की घाटियों से होकर एक उज्जवल दिन की ओर कदम बढ़ाता है,
और एक नयी वादी में विकसित होता है।
सितारों की खामोशी में यह अपनी आवाज पाता है।
अंधेरे में जलता एक चिंगारी प्रतीत होता है,
एक प्रकाश की खोज में जो इसका मार्गदर्शन कर सकता है,
रात के अन्धकार को रोशनी में तब्दील कर देता है।