सन्नाटा
वीरानी पटरिया-
-सुखी शाख करती इंतजार-
-दीदार होगा आज फिर किसी नये मुसाफिर से-
-धुंधली रोशनी मुस्कुरा कर कहती-
-कुछ देर रुकना यहां-
-यह सन्नाटे भरी राहें सताती मुझे…..
डॉ माधवी मिश्रा ‘शुचि ‘
वीरानी पटरिया-
-सुखी शाख करती इंतजार-
-दीदार होगा आज फिर किसी नये मुसाफिर से-
-धुंधली रोशनी मुस्कुरा कर कहती-
-कुछ देर रुकना यहां-
-यह सन्नाटे भरी राहें सताती मुझे…..
डॉ माधवी मिश्रा ‘शुचि ‘