दुनिया तभी खूबसूरत लग सकती है
माशा अल्लाह, तुम बहुत लाजवाब हो
दु:ख का रोना मत रोना कभी किसी के सामने क्योंकि लोग अफसोस नही
देखें क्या है राम में (पूरी रामचरित मानस अत्यंत संक्षिप्त शब्दों में)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
इन राहों में सफर करते है, यादों के शिकारे।
सत्तावन की क्रांति का ‘ एक और मंगल पांडेय ’
जिसका हक है उसका हक़दार कहां मिलता है,
निंदा वही लोग करते हैं, जिनमें आत्मविश्वास का
"मुझे हक सही से जताना नहीं आता
औपचारिक हूं, वास्तविकता नहीं हूं
" बोलती आँखें सदा "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "