सनम
आज अभी इस बात का, करते हैं इजहार।
तू ही दिल धड़कन सनम, तू ही मेरा प्यार।।
मैं नदिया की धार हूँ, बहती तेरे संग।
रोक सको तो रोक लो, रँगी तुम्हारे रंग।।
प्रियतम अब कुछ तो कहो, क्यों बैठे खामोश।
सपनों की बाहें खुली,भर लो तुम आगोश।।
साथ-साथ मिलकर चले, हम मंजिल की ओर।
इक-दूजे को थामकर, पहन प्रीत की डोर।।
समझे दिल का दर्द जो, होता सच्चा मीत।
बिना कहे मन की सुने, वो है सच्ची प्रीत।।
-लक्ष्मी सिंह
-लक्ष्मी सिंह