सनम ऐसे ना मुझको बुलाया करो।
सनम ऐसे ना मुझको बुलाया करो।
गर बुलाओ वजह भी जताया करो।।
बात कुछ भी नहीं तुम बताती प्रखर ।
दिल के अरमां न हमसे दबाया करो।।
प्यार करती अगर मुंह छिपाओ नहीं ।
पास आऊं तो घूंघट उठाया करो ।।
लफ्ज़ खामोश रहते तड़पता है दिल।
इस क़दर तुम न मुझको सताया करो।।
चांद चेहरा ढका जुल्फ की बदलियां।
नूर ऐसे न उसका का छिपाया करो।।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर ‘