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6 Apr 2022 · 1 min read

सदियों से बंद घर

ऐसा प्रतीत हो रहा था कि काली पथरीली पहाड़ियों से घिरे उस बस्ती के सारे घर जैसे सदियों से बंद हों। कभी खुलते ही न हों। उन्हें कोई खोलता ही न हो। उन्हें कोई खोलने वाला ही न हो। कोई गर एक आधे घर में भूला भटका रहता भी हो तो उन्हें खोलना चाहता ही न हो। घर के बाहर झांकना या निकलकर आना ही न चाहता हो। दृश्य मनोहारी है परंतु संपूर्ण वातावरण में एक मायूसी सी छाई हुई है। कई बार इस जीवन में एक खुली आंखों से दिख रहा बाहरी सुंदर आवरण किसी वस्तु या व्यक्ति का भीतर से पूर्णतया बदशक्ल, खोखला और दीमक का चाटा हुआ भी हो सकता है।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
199 Views
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