सदा वंदन किया करना ।
झुकाकर शीश चरणों में,
सदा वंदन किया करना ।
दया करती सभी पर माँ,
कभी चिंतन किया करना ।
लुटातीं नेह की दौलत,
सजल ममता भरी आँखें,
सज़ाकर भाव की दुनिया,
सभी मंथन किया करना ।
दीपक चौबे ‘अंजान’
झुकाकर शीश चरणों में,
सदा वंदन किया करना ।
दया करती सभी पर माँ,
कभी चिंतन किया करना ।
लुटातीं नेह की दौलत,
सजल ममता भरी आँखें,
सज़ाकर भाव की दुनिया,
सभी मंथन किया करना ।
दीपक चौबे ‘अंजान’