सत्संग शब्द सुनते ही मन में एक भव्य सभा का दृश्य उभरता है, ज
सत्संग शब्द सुनते ही मन में एक भव्य सभा का दृश्य उभरता है, जहाँ सैकड़ों लोग एकत्रित होकर भक्ति में लीन हैं।
लेकिन क्या सचमुच सत्संग का अर्थ केवल लोगों की संख्या से होता है?
नहीं, सत्संग का अर्थ है सत्य का संग,और सत्य का संग केवल उन लोगों में ही हो सकता है जिनके हृदय में सत्य के प्रति प्रेम और समर्पण हो।।
बहुत लोग सत्संग में बैठते हैं,लेकिन उनमें से कितने वास्तव में सत्संग में बैठते हैं?
कितने हैं जो केवल दिखावा करने के लिए,या फिर सामाजिक प्रतिष्ठा के लिए,सत्संग में शामिल होते हैं?
सच्चा सत्संग तो उन लोगों में होता है,जो सत्य को जानने और
अपने जीवन में उतारने की इच्छा रखते हैं।जो भक्ति और प्रेम के भाव से सत्संग में बैठते हैं और सत्य के प्रकाश में अपने जीवन को बदलने का प्रयास करते हैं।।
सत्संग का सच्चा आनंद केवल उन लोगों को ही प्राप्त होता है
जो सत्संग में बैठकर अपने अहंकार को त्याग देते हैं और सत्य के प्रति समर्पण कर देते हैं।।
इसलिए सत्संग में बैठने से पहले अपने आप से यह प्रश्न पूछें
कि क्या आप सचमुच सत्संग में बैठना चाहते हैं?
क्या आप सत्य को जानने और अपने जीवन में उतारने की इच्छा रखते हैं?
यदि हाँ, तो सत्संग आपके लिए एक अनमोल अवसर है
जिसके माध्यम से आप अपने जीवन को बदल सकते हैं
और सच्चा आनंद प्राप्त कर सकते हैं।।