Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Dec 2022 · 2 min read

#सत्य_कथा

#सत्य_कथा
■ इक नाता विश्वास का
【प्रणय प्रभात】
बात चार साल पहले की है। जब हम दो साल के लिए अस्थाई रूप से ग्वालियर प्रवास पर थे। हरिशंकर-पुरम स्थित चिनाब अपार्टमेंट में फ्लैट की गैलरी से सटे अमरूद के पेड़ पर एक घोंसला बन चुका था। बहुत सुंदर और सुरक्षित से घोंसले में दो छोटे-छोटे अंडे भी दिखाई दे रहे थे। जैसे ही मैने पत्तियों के बीच नज़र आते अमरूद की ओर हाथ बढ़ाया, अंडों के पास दुबकी बैठी चिड़िया आशंकित हो गई। शायद उसे लगा कि मेरी कोशिश अंडों को नुकसान पहुंचाने की है। घोंसले से चीं-चीं कर उड़ती चिड़िया अब आक्रामक सी मुद्रा में थी। कुछ पल रुकने के बाद मैं थोड़ा दूर हुआ। घोंसले से निगाह हटाकर चिड़िया को देखता रहा। अब तक चिड़िया मेरे बर्ताव को भांप चुकी थी। वो आश्वस्त होकर फिर घोंसले में रखे अंडों के पास आ बैठी। उसकी निगाहें अब भी मुझ पर थीं। यह और बात है कि उनमें पहले सा संशय नहीं था। मैंने धीरे से हाथ बढ़ाकर अमरूद तोड़ लिया। पत्ते व शाख हिलने के साथ थोड़ी सी हलचल घोंसले में भी हुई। चिड़िया बिना किसी प्रतिक्रिया के अंडों के पास बैठी रही। मैने गैलरी की मुंडेर पर दाना-पानी रखने का क्रम आरंभ कर दिया। मात्र तीन दिन बाद हालात बदल गए। अंडों से चूज़े बाहर आ गए। उनका लालन-पालन करती चिड़िया को अब गैलरी में मेरे देर तक खड़े रहने की कोई परवाह नहीं थी। अमरूद तोड़ने की कोशिश भी अब उसे चिंतित नहीं करती थी। वो आराम से मुंडेर पर रखे दाने चुगती। वो भी बिना किसी भय के। विश्चास का एक अनाम सा नाता जो जुड़ चुका था हमारे बीच। शायद इसलिए कि वो एक चिड़िया थी और मैं एक इंसान। कुछ दिनों बाद बच्चे में भी मुंडेर से हॉल के रास्ते किचन तक आने लगे। हमारी ग्वालियर से घर वापसी तक। काश, आपसी सामंजस्य और सह-अस्तित्व वाली भावना की यह समझ दो इंसानों के बीच भी इतनी तेज़ी से पनप पाती। काश, किसी एक की संवेदना दूसरे को सहज स्वीकार्य होती। तो आज समाज और दुनिया मे अलगाव और अविश्वास नाम की कोई चीज़ नहीं होती।°
#प्रणय_प्रभात

#आत्मकथ्य :–
सत्य घटना और अनुभव को कहानी का रूप देने का एक छोटा सा प्रयास है यह। कहानी लेखन मेरी मूल विधा नहीं है। इस कक्षा में प्राथमिक स्तर का विद्यार्थी मानिएगा मुझे। हां, कहानी कोई संदेश दे पाने में सफल हुई हो तो सराहना उस चिड़िया की ज़रूर कीजिएगा, जो इसकी नायिका भी है और प्रेरणा भी। वही चिड़िया जो एक बार फिर से घोंसला बनाने की तैयारी में थी। हमारी विदाई से एन पहले तक) 😊😊😊

Language: Hindi
1 Like · 194 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

माना नारी अंततः नारी ही होती है..... +रमेशराज
माना नारी अंततः नारी ही होती है..... +रमेशराज
कवि रमेशराज
चिंगारी
चिंगारी
Mukund Patil
झोटा नही हैं उनका दीदार क्या करें
झोटा नही हैं उनका दीदार क्या करें
RAMESH SHARMA
डीजे।
डीजे।
Kumar Kalhans
*छूट_गया_कितना_कुछ_पीछे*
*छूट_गया_कितना_कुछ_पीछे*
शशि कांत श्रीवास्तव
सावित्री और सत्यवान
सावित्री और सत्यवान
Meera Thakur
*कागज पर जिंदगी*
*कागज पर जिंदगी*
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सविनय निवेदन
सविनय निवेदन
कृष्णकांत गुर्जर
मां भारती से कल्याण
मां भारती से कल्याण
Sandeep Pande
- तेरे बाद में कुछ भी नही हु -
- तेरे बाद में कुछ भी नही हु -
bharat gehlot
*कल की तस्वीर है*
*कल की तस्वीर है*
Mahetaru madhukar
⭕️⭕️चूड़ियाँ
⭕️⭕️चूड़ियाँ
Dr. Vaishali Verma
*पाए हर युग में गए, गैलीलियो महान (कुंडलिया)*
*पाए हर युग में गए, गैलीलियो महान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
अपना दर्द छिपाने को
अपना दर्द छिपाने को
Suryakant Dwivedi
धर्म और सिध्दांत
धर्म और सिध्दांत
Santosh Shrivastava
जीवन रश्मि
जीवन रश्मि
Neha
कुपोषण की पहचान कारण और बचने के उपाय
कुपोषण की पहचान कारण और बचने के उपाय
Anil Kumar Mishra
हमने माना अभी
हमने माना अभी
Dr fauzia Naseem shad
काकाको यक्ष प्रश्न ( #नेपाली_भाषा)
काकाको यक्ष प्रश्न ( #नेपाली_भाषा)
NEWS AROUND (SAPTARI,PHAKIRA, NEPAL)
मैंने दी थीं मस्त बहारें हैं
मैंने दी थीं मस्त बहारें हैं
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
वीर शिवा की धरती है ये, इसको नमन करे संसार।
वीर शिवा की धरती है ये, इसको नमन करे संसार।
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
सच तो आज न हम न तुम हो
सच तो आज न हम न तुम हो
Neeraj Agarwal
मैं  तेरी  पनाहों   में  क़ज़ा  ढूंड  रही   हूँ ,
मैं तेरी पनाहों में क़ज़ा ढूंड रही हूँ ,
Neelofar Khan
■ संवेदनशील मन अतीत को कभी विस्मृत नहीं करता। उसमें और व्याव
■ संवेदनशील मन अतीत को कभी विस्मृत नहीं करता। उसमें और व्याव
*प्रणय*
*राम स्वयं राष्ट्र हैं*
*राम स्वयं राष्ट्र हैं*
Sanjay ' शून्य'
3379⚘ *पूर्णिका* ⚘
3379⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
डूबे किश्ती तो
डूबे किश्ती तो
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀 *वार्णिक छंद।*
🥀 *अज्ञानी की कलम*🥀 *वार्णिक छंद।*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
"जब-जब"
Dr. Kishan tandon kranti
मरूधर रा बाशिंदा हा
मरूधर रा बाशिंदा हा
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
Loading...