Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Jun 2024 · 1 min read

सत्य स्नेह

सत्य स्नेह (त्रिभंगी छंद )

है जिसका जिस पर,सत्य स्नेह प्रिय,छू लेता है,लक्ष्य सदा।
वह हार न माने,चले रात दिन,चिंतन करता,प्यारशुदा।।

नित प्रिय हित साधक,शुभ आराधक,उत्तम वाचक,मधु वचना।
मिलने को आतुर,रहता हरदम,करता जाता,दिव रचना।।

वह बढ़ता रहता,जपता रहता,प्रेम पिपासू ,सा दिखता।
मन अति निश्चल है,कपटहीन है,प्रिय कुलीन है,शिव लगता।।

जो सत अनुरागी,वह वितरागी,जन सहभागी,उर्मिल है।
जिसको वह चाहे,उसको पाये,शीश झुकाता,प्रेमिल है।।

साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।

1 Like · 43 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

*सुनकर खबर आँखों से आँसू बह रहे*
*सुनकर खबर आँखों से आँसू बह रहे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
हिंदी हमारी शान है
हिंदी हमारी शान है
punam lata
भ्रष्टाचार
भ्रष्टाचार
Paras Nath Jha
स्वयं के स्वभाव को स्वीकार और रूपांतरण कैसे करें। रविकेश झा।
स्वयं के स्वभाव को स्वीकार और रूपांतरण कैसे करें। रविकेश झा।
Ravikesh Jha
धुप मे चलने और जलने का मज़ाक की कुछ अलग है क्योंकि छाव देखते
धुप मे चलने और जलने का मज़ाक की कुछ अलग है क्योंकि छाव देखते
Ranjeet kumar patre
यह तुम्हारी गलत सोच है
यह तुम्हारी गलत सोच है
gurudeenverma198
- किस्सा -
- किस्सा -
bharat gehlot
बेवक़ूफ़
बेवक़ूफ़
Otteri Selvakumar
वक़्त के साथ
वक़्त के साथ
Dr fauzia Naseem shad
मुश्किल है जीना
मुश्किल है जीना
Chitra Bisht
हम अपने मुल्क की पहचान को मिटने नहीं देंगे ।
हम अपने मुल्क की पहचान को मिटने नहीं देंगे ।
Phool gufran
नमस्ते! रीति भारत की,
नमस्ते! रीति भारत की,
Neelam Sharma
दर्द
दर्द
Ashwini sharma
कभी कभी किसी व्यक्ति(( इंसान))से इतना लगाव हो जाता है
कभी कभी किसी व्यक्ति(( इंसान))से इतना लगाव हो जाता है
Rituraj shivem verma
मां का महत्त्व
मां का महत्त्व
Mangilal 713
मुक्तक
मुक्तक
डॉ मनीष सिंह राजवंशी
जीवन के अंतिम पड़ाव पर लोककवि रामचरन गुप्त द्वारा लिखी गयीं लघुकथाएं
जीवन के अंतिम पड़ाव पर लोककवि रामचरन गुप्त द्वारा लिखी गयीं लघुकथाएं
कवि रमेशराज
◆हरे-भरे रहने के लिए ज़रूरी है जड़ से जुड़े रहना।
◆हरे-भरे रहने के लिए ज़रूरी है जड़ से जुड़े रहना।
*प्रणय*
अच्छा लगा
अच्छा लगा
Kunal Kanth
“मेरी किताब “पुष्प -सार” और मेरी दो बातें”
“मेरी किताब “पुष्प -सार” और मेरी दो बातें”
DrLakshman Jha Parimal
असोक विजयदसमी
असोक विजयदसमी
Mahender Singh
4605.*पूर्णिका*
4605.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मेरी मोहब्बत पाक मोहब्बत
मेरी मोहब्बत पाक मोहब्बत
VINOD CHAUHAN
महान गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस की काव्यमय जीवनी (पुस्तक-समीक्षा)
महान गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस की काव्यमय जीवनी (पुस्तक-समीक्षा)
Ravi Prakash
बरखा में ऐसा लगे,
बरखा में ऐसा लगे,
sushil sarna
सच कहा था किसी ने की आँखें बहुत बड़ी छलिया होती हैं,
सच कहा था किसी ने की आँखें बहुत बड़ी छलिया होती हैं,
Chaahat
कुछ पल अपने लिए
कुछ पल अपने लिए
Mukesh Kumar Sonkar
सिंपल सी
सिंपल सी
Deepali Kalra
"अजब-गजब मोहब्बतें"
Dr. Kishan tandon kranti
बदहवास सा भाग रहा
बदहवास सा भाग रहा
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Loading...