*सत्य-भाषण का सभी को विश्व में अधिकार हो (गीत)*
सत्य-भाषण का सभी को विश्व में अधिकार हो (गीत)
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सत्य-भाषण का सभी को विश्व में अधिकार हो
(1)
निर्भय सभी की चेतना स्वातंत्र्य-पल जीती रहे
उन्मुक्त अमृत को मनुजता सर्वदा पीती रहे
रोक जिह्वा पर लगाए, जो उसे धिक्कार हो
(2)
बुद्धि जो चिंतन करे,मन वह सहज गाता रहे
हर हृदय विस्तृत गगन की सैर को जाता रहे
चाकुओं के भार से, अब तो रहित संसार हो
(3)
जो जमी है बर्फ रिश्तों पर पिघलना चाहिए
हाथ में ले हाथ मुख पर हास पलना चाहिए
सोच में दूषित दुराग्रह का नहीं व्यवहार हो
(4)
आदमी को आदमी से डर न लगना चाहिए
आदमी ही आदमी हाथों न ठगना चाहिए
जीत से ज्यादा मनुज को प्रिय मिली शुभ हार हो
(5)
हर असहमति भद्रता से, लोक में आकार ले
मतभेद की संस्कृति सहज, हर्षमय विस्तार ले
सृष्टि का मानस प्रफुल्लित और चित्त उदार हो
सत्य-भाषण का सभी को विश्व में अधिकार हो
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 615451