सत्य पर चलना बड़ा कठिन है
संबंधों के मकड़जाल में,
सत्य पर चलना बड़ा कठिन है।
तीन गुणों को घट में रखकर,
रहना गुणातीत बड़ा कठिन है।
मन डूबा हो अहंकार में,
तो सम्यक ज्ञान बड़ा कठिन है।
स्वार्थ भरा हो जीवन में तो,
परमार्थ निभाना बड़ा कठिन है।
भरा हो अंतस में अंधकार ,
तो स्व की खोज बड़ा कठिन है।
जबतक स्व निर्मूल न होगा,
चरित्र का उठना बड़ा कठिन है।
भरा हो मन कटुता, इर्ष्या से,
तो संबंध निभाना बड़ा कठिन है।
जबतक मन में द्वैत रहेगा,
अद्वैत समझान बड़ा कठिन है।
हरपल,हरक्षण प्रपंच में रहकर,
जीवन जीना बड़ा कठिन है ।
जबतक मन एकाग्र न होगा,
सत्य की खोज बड़ा कठिन है।
उदय नारायण सिंह
मुजफ्फरपुर, बिहार
6200155322