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11 Jun 2019 · 1 min read

सत्य पथ के हम पथिक हैं.

मध्य जीवन या मरण के ज्ञान हम चुनते रहें।
मित्र !तूफानों में कश्ती हम सहज खेते रहें।
है सनातन सत्य केवल जीव या जीवात्मा।
सत्य पथ के हम पथिक हैं साधना करते रहें।

कर्म पथ पर हम अडिग,सत्कर्म ही करते रहे ।
जन्म लेकर इस धरा का भार हम भरते रहें ।
कर्म योगी वन करेंगे ,सत्य की आराधना ।
प्राणियों को प्रेम दे ,हर दुख सदा हरते रहे ।

कर्म योगी बन चला जो, सत्य का राही वही ।
धर्म में यह ही निहित है ,मानिये बातें यही।
दूर कर अज्ञान को, बस कीजिए ज्ञानार्जन ।
उपनिषद संग वेद पढ़ना ,ही यहां सबसे सही।
डा प्रवीण कुमार श्रीवास्तव

Language: Hindi
302 Views
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Books from डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
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