सत्य की राह
✒️?जीवन की पाठशाला ?️
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जितना हम मोह -माया -और दिखावे भरी चीज़ों की तरफ आकर्षित होते हैं उतना ही हम अपने वास्तविक अंदुरनी सुख से दूर होते जाते हैं …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की पैसे से इंसान सुख सुविधाएं खरीद सकता है मगर संस्कार -नियति -तक़दीर -विवेक और बुद्धि नहीं …,
जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जब भी आप ईश्वर के बताये रास्ते पर -सत्य की राह पर -अपने उसूलों के साथ चलना चाहेंगें सबसे ज्यादा विरोध -मतभेद आपके अपनों का ही उभर कर सामने आएगा …,
आखिर में एक ही बात समझ आई की हमेशा अपनों से गैरों से ज्यादा सचेत और सावधान रहना चाहिए क्यूंकि भले ही श्री राम ने रावण को मारा हो परन्तु भेद विभीषण का ही था और इतिहास गवाह है के आपके भेद आपके अपनों की ईर्ष्या -द्वेष -जलन -नफरत -मानसिक संकीर्णता के कारण ही गैरों और आपके शत्रुओं के सामने आते हैं जिनका उन्हें फायदा मिलता है …!
बाक़ी कल , अपनी दुआओं में याद रखियेगा ?सावधान रहिये-सुरक्षित रहिये ,अपना और अपनों का ध्यान रखिये ,संकट अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क ? है जरुरी …!
?सुप्रभात?
स्वरचित एवं स्वमौलिक
“?विकास शर्मा’शिवाया ‘”?
जयपुर-राजस्थान