सत्य की खोज
****जानते तो सब हैं… पर जानना नहीं चाहते… भ्रम में ही रहना पंसद है सबको… जब भ्रम बेहद खूबसूरत हो… तो खूबसूरती में ही कुछ पल रह लेना बेहतर है.. हाथ में खिलौना पकड़ा कुछ पल बच्चों का दिल बहलता है… बेहतर है… बस ऐसे ही जीवन कटहा है हम मनुष्यों का….
सत्य की खोज… निकल पड़ी सत्य की खोज में… जाना सत्य तो मौन है… सत्य शांति का महासागर है**
सत्य प्रदर्शन नहीं करता.. *सत्य तो स्वयं सिद्धा स्वयं में पूर्ण है….
मानव जीवन में विचारों का आधा – जाना उथल-पुथल मचाना… रसायनों काही कोहराम है।।
आकर्षणों की भीड़ मे… उजालों की चकाचौंध में सत्य नहीं है.. यह सब तो नश्वर है.. दिखावा है, मन को बहलाने का साधन है… सत्य तो अजन्मा है…
सत्य मात्र किरणों का प्रकाश नहीं…. उजालों काअम्बार ही नहीं… **सत्य स्वयंमेव सूर्य है **जिसके आगे हम सब राख हैं…. अस्तित्व मनुष्य का धरती पर… तन के पिंजरे में प्राण… प्राणों ने छोड़ा तन मिटा इंसान का नामोंनिशान…
इंसान के शुभ कर्म ही उसकी पहचान है… रह जाना भावों का समुंदर विचारों का कौलाहल… रसायनों का उठता कोहराम है…. माना की रसायनों की शक्ति…. शक्ति में ऊर्जा…
ऊर्जाओं का संतुलन… शक्तियों का स्रोत है…
जीवन मे सत्य है या सत्य में जीवन है….
मनुष्य तन मात्र गिनती के वर्षो की पहचान है… गिनती का छोटा या बडा होना अलग बात है…. तन में जो प्राण हैं, वो शाश्वत हैं… तन के चोला बदलना नियम है…
सत्य शाश्वत है, महाशक्ति,महा ऊर्जा है सत्य को जान पाना अकल्पनीय है… सत्य की खोज अखण्ड सूर्य के तेज के सामान है….