सत्य का साथ
अपने काम मे मगन रहने पर भी, कभी – कभी मेरा मन मेरा साथ छोड़कर कहीं दूर चला जाता हैं । आज भी बैठे – बैठे त्रेता युग और द्वापर युग में संबंध के बारे में और उनके पात्रों के बारे में सोच रहा था , तो आज के लेख का मुख्य विषय “सत्य का साथ ” ही है, जो आपके समक्ष प्रस्तुत हैं:–
हम सबको ज्ञात हैं कि त्रेता युग मे भगवान श्री राम का जन्म रघुकुल में अयोध्या के राजा दशरथ जी के घर हुआ था । पिता के वचन पर चौदह वर्ष के लिए श्री राम,अपनी भार्या और अनुज लक्ष्मण के साथ वन में चले गए थे । यहाँ पर भगवान श्री राम द्वारा अनेक असुरों का संहार किया गया, जिसके कारण असुरपति लंका नरेश रावण से शत्रुता हो गयी थी । विश्रवा पुत्र रावण ने अपनी बहिन सूपर्णखा के अपमान का बदला लेने के लिए छल से जगत जननी माता सीता का अपहरण कर लंका ले आया । श्री राम अपने अनुज के साथ जानकी को खोजते हुए ऋषिमूक पर्वत पर सुग्रीव से उनके परम् भक्त हनुमान ने मित्रता कराई थी ।
आज के लेख का मुख्य विषय यही से शुरू होता हैं । आपको ज्ञात होगा कि सुग्रीव और बाली दोनों भाई थे उनमें अपार प्रेम था, बड़े सुख से किष्किंधा में निवास करते थे, किंतु एक घटना के बाद से दोनों में बैर हो गया था । बाली के भय से सुग्रीव अपने दल बल के साथ ऋषिमूक पर्वत पर रहने लगा था ।
” सुग्रीव और बाली देव पुत्र थे, जिनमे सुग्रीव सूर्य पुत्र और बाली इंद्र पुत्र था , ठीक उसी प्रकार द्वापर युग मे कर्ण सूर्य पुत्र और अर्जुन इंद्र पुत्र था । सुग्रीव और बाली एक दूसरे से लड़े और भगवान श्री राम के द्वारा बाली का वध छल से किया गया, ठीक उसी प्रकार कर्ण और अर्जुन एक दूसरे से महाभारत के युद्ध मे लड़े और युद्ध के निर्णायक दिन भगवान श्री कृष्ण के कहने पर अर्जुन ने निहत्थे कर्ण पर अपने बाण से वार कर मृत्यु दिलाई । बाली के वध के बाद सुग्रीव ने बैर भाव बुलाकर बाली सुत अंगद को अपनाया तथा युवराज के पद पर सुशोभित किया , ठीक उसी प्रकार कर्ण की मृत्यु के बाद उसके परिवार और पुत्र को पांडवो ने अपना लिया । चारो ही देव पुत्र बहुत बलशाली थे किंतु बाली और कर्ण अधर्म के पक्ष में होने के कारण अपनी अपनी मृत्यु को प्राप्त हुए और सुग्रीव व अर्जुन को भगवान का साथ प्राप्त होकर उन्होंने धर्म का साथ दिया और अंत मे राज का भोग किया ”
भगवान श्री राम अगर चाहते तो बाली से मित्रता कर पलभर में ही रावण को परास्त कर सीता को छुड़वा लाते, किंतु भगवान हर युग में सत्य और धर्म के साथ रहते हैं , इसी कारण भगवान श्री राम ने सुग्रीव का साथ दिया। सत्य और धर्म की राह शुरू में कष्टप्रद लगती हैं, किंतु उसका परिणाम मीठा ही होता हैं । अंत मे वानर सेना के सहयोग से श्री राम ने समुद्र पर सेतु बांध लंका पर चढ़ाई की, सभी असुरों का संहार कर रावण को दशहरे के दिन मारा और विजय प्राप्त की ।
युग कौनसा ही हो हमें सच का साथ देना चाहिए, सुख की राह सुलभ नही होतीं किंतु परिणाम हमेशा सुलभ और सुखद ही होता हैं ।।
———!!!जेपीएल