#सत्यकथा
😊ग़लत कहा क्या?😊
【प्रणय प्रभात】
कल एक महाशय ने टल्ली होकर बिना मांगे तर्क दिया कि, वो दारू इसलिए पीता है कि उसके भोले बाबा भांग और गांजा पीते हैं।
मुझे न चाहते हुए भी कहना पड़ा कि “गांजे और भांग का कोई प्रमाण नहीं, कहीं भी। हां, उन्होंने कालकूट विष अवश्य पिया था। कर के दिखाए अनुकरण। दम हो तो।।”
बस, उतर गई लू। वो भी एक झटके में। निकल लिया पट्ठा, पतली गली से। कल्टी मार के।।
Moral-
जिसे जो करना हो करे। बस, धर्म व ईश्वर पर मिथ्या प्रचार न करें। किवदंतियों को ज्ञान का आधार मान कर न मूर्ख बनें, न औरों को बनाएं। इसके बाद आप स्वतंत्र हैं। शराब पिएं या लहू।।
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👌सम्पादक👌
न्यूज़&व्यूज़ (मप्र)