सतयुग, द्वापर, त्रेतायुग को-श्रेष्ठ हैं सब बतलाते
सतयुग, द्वापर, त्रेतायुग को-श्रेष्ठ हैं सब बतलाते
कलियुग में हैं पाप बढ़ रहे-ऐसा हैं समझाते
लेकिन पिछले तीन युगों में-हैं तेईस अवतार हुए
केवल एक ही काफी होगा-कलियुग के उद्धार के लिए
अर्थ हुआ इसका कि पहले-अत्याचारी ज्यादा थे
बड़े भयंकर राक्षस ऐसे-देवों से लड़ जाते थे
सुविधाएं अब सबकी पहुंच में-आसमान में उड़ सकते
नहीं जरूरत संजय की अब-लाइव युद्ध स्वयं देखें
सब कुछ है बस सोच पे निर्भर- रोना या फिर खुश रहना
मन में यदि संतोष न हो तो-सदा शिकायत ही करना